उत्तर प्रदेश में भाषा और साहित्य का समृद्ध और प्राचीन इतिहास रहा है। उत्तर प्रदेश का साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत में योगदान प्राचीन अभिलेखों में भी दर्ज है। हिंदू धर्म के संस्कृत भाषा में दो महाकाव्यों रामायण और महाभारत की रचना भी इसी भूमि पर हुई।

यह प्रदेश कबीर, तुलसीदास, सूरदास और केशवदास की कर्मभूमि रहा है। इनके अलावा राजे-रजवाड़ों समेत नवाबों ने भी प्रदेश की साहित्यिक विरासत को और बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विभिन्न राजाओं और नवाबों ने साहित्यिक विद्वानों को अपने दरबार में प्रश्रय दिया। अश्वघोष, बाण, मयूर, दिवाकर, वाक्पति, भवभूति, राजशेखर, लक्ष्मीधर, श्रीहर्ष और कृष्ण मिश्रा अलग-अलग दौर में राजाओं के दरबारों के रत्नों में शामिल रहें। शिक्षा के प्रमुख केंद्र के लिहाज़ से वाराणसी (प्राचीन दौर के प्रयाग और काशी) के अलावा ब्रज क्षेत्र, अवध, बुंदेलखंड और कालांतर में इलाहाबाद है।


वाराणसी प्राचीन काल से ही शिक्षा और धर्म पर दुनिया भर के विद्वानों के व्याख्यान और तार्किक बहस का केंद्र रहा है। बाद की सदियों में भी इसने अपना यह मुकाम नहीं गंवाया। विभिन्न विषयों पर बहस और दार्शनिक संवाद के लिए भी प्रतिष्ठित और दिग्गज यहां आते रहे हैं। उत्कृष्ट शिक्षा के प्रति इस नगर का झुकाव ही रहा है, जो इसे संस्कृत भाषा में रचे गए महाकाव्यों में स्थान मिला। हिंदू और बौद्ध साहित्य के पवित्र ग्रंथों के अलावा, वेद-पुराणों का कुछ हिस्सा भी यहीं लिखा गया है।

हिंदी, उर्दू, संस्कृत, हिंदुस्तानी, ब्रज भाषा, इंग्लिश, अवधी, बाघेली, भोजपुरी, बुंदेली और कन्नौजी ... के रूप में उत्तर प्रदेश की भाषा संबंधी परंपराएं काफी पुरानी और समृद्ध हैं। इस प्राचीन और समृद्ध साहित्यिक परंपरा को कालांतर में आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम किया नागरी प्रचारणी सभा और हिंदी साहित्य सम्मलेन ने।

उत्तर प्रदेश हिंदी और उर्दू ज़बान को विकसित कर उन्हें फैलाने वाला राज्य रहा है। हिंदी में भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, श्रीकांत वर्मा सरीखे लेखक,तो सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंशराय बच्चन, सुमित्रा नंदन पंत, महावीर प्रसाद दिवेदी और उपेन्द्रनाथ अश्क जैसे कवि इसी प्रदेश की माटी में जन्में हैं।

अगर उर्दू की बात करें तो शायरी और अदब की दुनिया के तमाम बड़े नाम यहीं से ताल्लुक रखते हैं। इन्होंने प्रदेश को गंगा-जमुनी तहज़ीब का ख़िताब दिलाया। उर्दू साहित्य जगत के कुछ प्रतिष्ठित नाम है फ़िराक़ गोरखपुरी, जोश मलिहाबादी, अकबर इलाहाबादी, मजाज़ लखनवी, कैफ़ी आज़मी, अली सरदार जाफरी, शक़ील बदायुनी और निदा फ़ाज़ली