भारत में, सन् 1661 में चेन्नई में स्थापित अंग्रेजी उपनिवेश पुस्तकालय से शुरूआत करते हुए, कुल 54,856 सार्वजनिक पुस्तकालय हैं। सन् 1972 को अंतरराष्ट्रीय पुस्तक वर्ष घोषित किया गया था जिसका नारा था ‘‘सभी के लिए पुस्तकें‘‘।स्वतंत्रता से पहले भी, पश्चिम भारत में स्थित कोलहापुर राजशाही प्रदेश द्वारा सन् 1945 में सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित किया गया था।

मौलाना आजाद लाइब्रेरी

मौलाना आजाद लाइब्रेरी अलीगढ में स्थित है, इसकी स्थापना वर्ष 1875 में हुई, मौलाना आजाद लाइब्रेरी किसी भी अन्य पुस्तकालय से अलग है। आधिकारिक तौर पर यह प्रतिष्ठित अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय का मुख्य पुस्तकालय है। इसमें एक केंद्रीय पुस्तकालय है तथा विभिन्न तलों पर फैले 80 अधिक विभागीय पुस्तकालय हैं। इन पुस्तकालयों में पुस्तकों का बेहतर संग्रह है तथा स्नातकोत्तर छात्रों और पेशेवरों की जरूरतों को यह पूरा करती है।

यह लाइब्रेरी भारत में सबसे बडी और एशिया में दूसरी सबसे बडी मानी जाती है। यहाँ पुस्तकों का संग्रह न केवल छात्रों की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि भारत के इतिहास और संस्कृति पर भी प्रकाश डालता है। यहां खास तौर पर उल्लेखनीय सातवीं मंजिल पर स्थित एक पुस्तकालय है जो एक शानदार पुरानी मुस्लिम शैली की इमारत है एवं इसके चारों ओर खूबसूरत लॉन व बगीचे हैं। देश में सबसे बडा पुस्तकालय होन के अलावा, मौलाना आजाद लाइब्रेरी सबसे सुंदर भी मानी जाती है।


रामपुर रजा लाइब्रेरी

रामपुर रजा लाइब्रेरी , संसकृति मंत्रालय के अधीन एक सवायतत निकाय है जिसे सन् 1774 में नवाब फैजुल लाह खान द्वारा स्थापित किया गया और यह भारतीय इसलामी अधययन और कलाओं, बेशकीमती दुर्लभ पांडुलिपियों, ऐतिहासिक दसतावेज, मुगल लघु चित्रों और पुस्तकों के वंशागत संग्रह तथा नवाब के तोषखाने में रखे हुए अनय कलातमक कार्यों का खजाना है।


आमिर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी

आमिर-उद्-दौला पब्लिक लाइब्रेरी कैसरबाग लखनऊ के शहर में स्थित है। यह अवध इंडियन एसोसिएशन ऑफ ब्रिटिश में स्वर्गीय आमिर-उद्-दौला के सम्मान में स्थापित किया गया था। इस पुस्तकालय में अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, बंगाली, फारसी और अरबी सहित भाषाओं में पुस्तकों का एक विशाल संग्रह है।यह एक ऐतिहासिक पुस्तकालय भारतीय इस्लामी स्थापत्य पर आधारित लगभग 3000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले भव्य भवन में स्थापित है। पुस्तकालय का निमार्ण ताल्लुकेदारों की संस्था अन्जुमन-ए-हिन्द अवध ने राजा महमूदाबाद अमीर-उद्-दौला की स्मृति में करीब रूपये 62,000 के अनुमानित मूल्य पर करवाया परन्तु बाद में कुछ शर्तों व धनराशि के बदले सरकार के नाम हस्तांतरित कर दिया।


भारती भवन पुस्तकालय

भारती भवन पुस्तकालय इलाहाबाद में स्थित है। यह एक हिंदी और उर्दू सार्वजनिक पुस्तकालय है। यह श्री बाल कृष्ण भट्ट और पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा वर्ष 1889 में संयुक्त रूप से स्थापित किया गया था।


सरस्वती भवन पुस्तकालय

सरस्वती भवन पुस्तकालय संस्कृत पांडुलिपियों का भंडार है। सुझाव और डॉ गंगानाथ झा की सिफारिश पर, इस पुस्तकालय में समय के साथ एकत्र दुर्लभ पांडुलिपियों प्रकाशित कि है। यह पुराने कागज, लकडी प्लेटें, सन्टी, कपडे और ताड के पत्तों पर लिखी पांडुलिपियों के एक अमीर के रूप में कार्य करता है।


सयाजी राव गायकवाड़ लाइब्रेरी

सयाजी राव गायकवाड़ लाइब्रेरी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का मुख्य पुस्तकालय के रूप में जाना जाता है। इसको ‘केन्द्रीय पुस्तकालय‘ भी कहते है। इसकी स्थापना 1917 में हुई थी। इसका वर्तमान भवन ब्रिटिश संग्रहालय की तर्ज पर 1941 में बना था। इसके निमार्ण के लिए महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ से दान प्राप्त हुआ था। वे वडोदरा राज्य में जगह-जगह पुस्तकालय निमार्ण के लिए प्रसिद्ध है।


थॉर्नहिल मायने मेमोरियल

थॉर्नहिल मायने मेमोरियल भारत में ब्रिटिशकाल की याद दिलाता है। इसका निमार्ण लेजिस्लेटिव एसेंबली की बैठक आयोजित करने कि लिए किया गया था। बलुआ पत्थर से बने इस भवन में गौथिक शैली की नक्काशी और डिजाइन भी की गई है। वर्तमान में इसे एक पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है, जहां छात्रों के अलावा इतिहासकार भी जानकारी जुटाने के लिए आते हैं।